*सूबह लिखता हूँ, शाम लिखता हूँ;* *सब कुछ "खुल-ए-आम" लिखता हूँ,* *वो कलम भी* *दीवानी हो जाती है जिससे ✏ बाबा महांकाल का नाम लिखता हूँ l✒* *जय श्री महाँकाल*
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