Thursday, February 23, 2017

Png

*सूबह लिखता �� हूँ, शाम लिखता हूँ;*���� *सब कुछ "खुल-ए-आम" लिखता हूँ,* ���� *वो कलम भी* ��
*दीवानी हो जाती है�� जिससे ✏ बाबा महांकाल का नाम लिखता हूँ l✒*
�� *जय श्री महाँकाल* ��

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